सीबीएसई में पढ़ने वाले विद्यार्थी ध्यान दें, अब खत्म…!


न्यूज़ डेस्क: सीबीएसई परीक्षाओं में मॉडरेशन नीति को लेकर इन दिनों काफी चर्चा हो रही है. दरअसल, यह नीति इसी साल यानि 2017 से बंद होनी थी लेकिन जब यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट के पास पंहुचा तो कोर्ट ने इस वर्ष तक इस नियम को लागू करने का आदेश दिया. जिसके बाद इस वर्ष 12वीं की परीक्षा का परिणाम इसी पद्दति पर किया गया. जनसत्ता को दिए गए एक इंटरव्यू में बोर्ड के परीक्षा नियंत्रक केके चौधरी ने बताया कि बोर्ड काफी समय से मॉडरेशन नीति का पालन कर रहा है.

सीबीएसई देश के साथ-साथ विदेशो में भी पारिक्षाओं का आयोजन करता है जिसके चलते बोर्ड को अलग-अलग प्रश्नपत्र के सेट तैयार करने पड़ते है. कठिन प्रश्नों के स्तर को एक सामान रखने के लिए और साथ ही बच्चों को प्रशन समझने में सहूलियत हो इसके लिए ही मॉडरेशन नीति का पालन किया जाता है. इसका प्रयोग सिर्फ मुख्यतः दो कार्यों के ही किया जाता है. लेकन जरूरत पड़ने पर-जैसे सवाल पाठ्यक्रम से बाहर हो तो उसके लिए भी किया जाता हैं. चौधरी ने बताया कि कटऑफ़ को बढ़ते देख यह कदम उठाया गया है. उन्होंने बताया कि बोर्डो कि आपस के स्पर्धा के कारण विद्यार्थियों को अधिक अंक दिए जाने लगे और साथ ही 90 प्रतिशत अंक पाने वाले विद्यार्थियों कि संख्या में लगातार वृद्धि हुई है जिससे दिल्ली जैसे विश्वविद्यालय में कटऑफ कुछ सालो से 100 प्रतिशत रहा है.

जब मॉडरेशन नीति ख़त्म हो जाएगा तब विद्यार्थियों को वास्तविक अंक दिए जाएंगे. एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि अगर परीक्षा में कठिन प्रश्न आ भी जाते हैं तो बोर्ड द्वारा दी गयी मार्किंग स्कीम की सहायता से राहत पहूँचाई जा सकेगी. बहरहाल, चौधरी ने 1972 में बने नियम एवं विनियमन को लेकर यह कहा कि इससे शुरुआत में अच्छा रहा पर बाद में स्पर्धा बढने से अंको में बढ़ोतरी हुई. जिससे अधिक अंक पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई पर इससे ख़त्म कर देने से बच्चों को वास्तविक अंक पता चल पाएगा जिससे एडमिशन लेने के लिए बच्चों को ज्यादा इन्तेजार भी नहीं करना पड़ेगा.

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